Tuesday, October 4, 2011

Nagraj Janmostav and 2nd Annual Kalpana Lok Awards on Oct 2, '2011.

Nagraj Janmostav and 2nd Annual Kalpana Lok Awards on Oct 2, '2011.

Raj Comics Kalpanalok awards.

L2R:-Mr.Manoj Gupta,Mr. Manish Gupta And Sanjay Gupta (Mastermind of Raj Comics)

Respected Raj Kumar Gupta, Ansar Akhtar, Harvinder Mankkar, Anupam Sinha, Haneef Azhar.

Artist Harvinder Mankkar and Bharat Makwana.

S.M.Raza ,Tarun kumar wahi (Raj Comics writer), Harvinder Mankkar (Director ad films & TV shows)
,Sumit Naytial(Fashion Photographer and CG Artist), Usman Ali khan (CG Artist and Advisory Member of Q-Comics Board USA), Kshiraj(Cartoonist).

S.M.Raza, Me, Hanif Azhar , Harvinder Mankkar

S.M.Raza , Me , Majid Khan.

Bharat Makwana and Tarun Kumar Wahi.

Me and Aadil Khan.

Comics Artist Hament and  Abdul Rasheed.

Raj Comics Fans With Manish Gupta.

Sanjay Gupta inaugurate Hemant's Poster.

Sanjay Gupta inaugurate Lalit's Poster.

Alok Sharma (Creator:-Chitrakatha Documentary ) and  Cartoonist Kshiraj  With Sanjay Gupta presenting Nagraj Toy.

Raj Comics fans (Poster winner)

A very killer poster of Nagraj 


Sumit with Comics Artist Husain Zamin 

Nagraj Play







Tuesday, September 27, 2011

Nagraj Janmotsav & 2nd Annual Kalpana Lok Awards 2011

Nagraj Janmotsav & 2nd Annual Kalpana Lok Awards 2011





Time
Sunday, October 2 · 11:00am - 6:00pm

Location
Raj Comics Studios (Raja Pocket Books) 330/1, Burari, Delhi.
Burari
Delhi, India

Created By

More Info
Nagraj Janmotsav & Kalpanalok Awards on 2nd of october 2011 at Raj Comics Studios (Raja Pocket Books, Burari Delhi).

Entry on registration basis: - Online/On the Spot registration.
To get registered send an email to janmotsav@gmail.com with fallowing details.

Full Name
Age
Full Address
Contact Number

Saturday, September 17, 2011

Google doodles Amar Chitra Katha creator Anant Pai's 82nd birthday


Google doodles Amar Chitra Katha creator Anant Pai's 82nd birthday

New Delhi: A comic book style doodle featuring the Anant Pai welcomed Google users in India on his 82nd birth anniversary. The doodle drawn in classic Amar Chitra Katha and Tinkle style shows Uncle Pai, as Anant Pai was known to millions of young readers, surrounded by Amar Chitra Katha and Tinkle comic books.
Anant Pai was born on September 17, 1929 at Karkala, Karnataka. A scientist by education, but an entertainer by vocation Uncle Pai initiated a comic revolution in India.
Amar Chitra Katha has shown millions of Indians the route to their roots. Tinkle has been the childhood companion of many for over two and half decades. In 1967, the educational comics series Amar Chitra Katha was launched. Each of the comics in this series was devoted to a person or event in Indian history, religion and mythology. Anant Pai conceptualised of all of these, and wrote the scenarios for most of them.
Anant Pai Google doodle on 17 September 2011
Google
Just a month before his death he was awarded the Lifetime Achievement Award India's first ever Comic Convention held in New Delhi on February 19-20. Uncle Pai died on February 24, 2011 at the age of 81 following a heart attack.
Apart from being the brain behind these two comics, Anant Pai had also trained thousands of teens in personality development.
Google doodles have gained immense popularity over the past few years and the Google team has put out commemorative doodles on events ranging from news events, civic milestones, birthdays, death anniversaries and important dates in history.
Google estimates it has created more than 900 doodles since 1998, with 270 of them running in 2010 and more than 150 in 2011.
anant pai

Wednesday, August 17, 2011

कौन हैं अन्ना हज़ारे?


कौन हैं अन्ना हज़ारे?

भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ आंदोलन में आम आदमी को जोड़ने वाले 73 साल के सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हज़ारे का मूल नाम किसन बापट बाबूराव हज़ारे है.
अन्ना हज़ारे भारत के उन चंद नेताओं में से एक हैं, जो हमेशा सफेद खादी के कपड़े पहनते हैं और सिर पर गाँधी टोपी पहनते हैं.
उनका जन्म 15 जून, 1938 को महाराष्ट्र के भिंगारी गांव के एक किसान परिवार में हुआ. उनके पिता का नाम बाबूराव हज़ारे और मां का नाम लक्ष्मीबाई हजारे है. अन्ना के छह भाई हैं. अन्ना का बचपन बहुत ग़रीबी में गुज़रा.
परिवार की आर्थिक तंगी के चलते अन्ना मुंबई आ गए. यहां उन्होंने सातवीं तक पढ़ाई की. कठिन हालातों में परिवार को देख कर उन्होंने परिवार का बोझ कुछ कम करने के लिए फूल बेचनेवाले की दुकान में 40 रूपए महीने की पगार पर काम किया.

सेना में भर्ती

अन्ना
भारत-चीन युद्ध के बाद सरकार की अपील पर अन्ना सेना में बतौर ड्राइवर भर्ती हुए थे.
वर्ष 1962 में भारत-चीन युद्ध के बाद सरकार की युवाओं से सेना में शामिल होने की अपील पर अन्ना 1963 में सेना की मराठा रेजीमेंट में बतौर ड्राइवर भर्ती हुए थे.
1965 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान अन्ना हज़ारे खेमकरण सीमा पर तैनात थे. 12 नवंबर 1965 को चौकी पर पाकिस्तानी हवाई बमबारी में वहां तैनात सारे सैनिक मारे गए. इस घटना ने अन्ना की ज़िंदगी को हमेशा के लिए बदल दिया.
घटना के 13 साल बाद अन्ना सेना से रिटायर हुए लेकिन अपने जन्म स्थली भिंगारी गांव भी नहीं गए. वे पास के रालेगांव सिद्धि में रहने लगे.
1990 तक हज़ारे की पहचान एक ऐसे सामाजिक कार्यकर्ता हुई, जिसने अहमदनगर जिले के रालेगांव सिद्धि को अपनी कर्मभूमि बनाया और विकास की नई कहानी लिख दी.

आदर्श गांव

इस गांव में बिजली और पानी की ज़बरदस्त कमी थी. अन्ना ने गांव वालों को नहर बनाने और गड्ढे खोदकर बारिश का पानी इकट्ठा करने के लिए प्रेरित किया और ख़ुद भी इसमें योगदान दिया.
अन्ना के कहने पर गांव में जगह-जगह पेड़ लगाए गए. गांव में सौर ऊर्जा और गोबर गैस के जरिए बिजली की सप्लाई की गई.
इसके बाद उनकी लोकप्रियता में तेजी से इज़ाफा हुआ.
1990 में 'पद्मश्री' और 1992 में पद्मभूषण से सम्मानित अन्ना हज़ारे को अहमदनगर ज़िले के गाँव रालेगाँव सिद्धि के विकास और वहां पानी की उपलब्धता बढ़ाने के लिए विभिन्न तरीक़ों का इस्तेमाल करने के लिए जाना जाता है.

'भ्रष्टाचार विरोधी जनआंदोलन'

अन्ना
भ्रष्टाचार के धुर विरोधी सामाजिक कार्यकर्ता के तौर पर पहचान नब्बे के दशक में बनी
अन्ना की राष्ट्रीय स्तर पर भ्रष्टाचार के धुर विरोधी सामाजिक कार्यकर्ता के तौर पर पहचान नब्बे के दशक में बनी जब उन्होंने 1991 में 'भ्रष्टाचार विरोधी जनआंदोलन' की शुरूआत की.
महाराष्ट्र में शिवसेना-भाजपा की सरकार के कुछ 'भ्रष्ट' मंत्रियों को हटाए जाने की मांग को लेकर भूख हड़ताल की. ये मंत्री थे- शशिकांत सुतर, महादेव शिवांकर और बबन घोलाप.
अन्ना हज़ारे ने उन पर आय से ज़्यादा संपत्ति रखने का आरोप लगाया था.
सरकार ने उन्हें मनाने की कोशिश की, लेकिन हारकर दो मंत्रियों सुतर और शिवांकर को हटाना ही पड़ा. घोलाप ने उनके खिलाफ़ मानहानि का मुकदमा कर दिया.
लेकिन अन्ना इस बारे में कोई सबूत पेश नहीं कर पाए और उन्हें तीन महीने की जेल हुई. हालांकि उस वक़्त के मुख्यमंत्री मनोहर जोशी ने उन्हें एक दिन की हिरासत के बाद छोड़ दिया.
एक जाँच आयोग ने शशिकांत सुतर और महादेव शिवांकर को निर्दोष बताया. लेकिन अन्ना हज़ारे ने कई शिवसेना और भाजपा नेताओं पर भी भ्रष्टाचार में लिप्त होने के आरोप लगाए.

सरकार विरोधी मुहिम

रालेगाँव सिद्धी गांव में अन्ना इसी मंदिर में रहते हैं.
2003 में अन्ना ने कांग्रेस और एनसीपी सरकार के कथित तौर पर चार भ्रष्ट मंत्रियों-सुरेश दादा जैन, नवाब मलिक, विजय कुमार गावित और पद्मसिंह पाटिल के ख़िलाफ़ मुहिम छेड़ दी और भूख हड़ताल पर बैठ गए.
हज़ारे का विरोध काम आया और सरकार को झुकना पड़ा. तत्कालीन महाराष्ट्र सरकार ने इसके बाद एक जांच आयोग का गठन किया.
नवाब मलिक ने भी अपने पद से त्यागपत्र दे दिया. आयोग ने जब सुरेश जैन के ख़िलाफ़ आरोप तय किए तो उन्होंने भी इस्तीफा दे दिया.
1997 में अन्ना हज़ारे ने सूचना के अधिकार क़ानून के समर्थन में मुहिम छेड़ी. आख़िरकार 2003 में महाराष्ट्र सरकार को इस क़ानून के एक मज़बूत और कड़े मसौदे को पास करना पड़ा.
बाद में इसी आंदोलन ने राष्ट्रीय आंदोलन का रूप लिया और 2005 में संसद ने सूचना का अधिकार क़ानून पारित किया.
कुछ राजनीतिज्ञों और विश्लेषकों की मानें, तो अन्ना हज़ारे अनशन का ग़लत इस्तेमाल कर राजनीतिक ब्लैकमेलिंग करते हैं और कई राजनीतिक विरोधियों ने अन्ना का इस्तेमाल किया है.
कुछ विश्लेषक अन्ना हज़ारे को निरंकुश बताते हैं और कहते हैं कि उनके संगठन में लोकतंत्र का नामोनिशां नहीं है.

Sunday, August 14, 2011

WISH YOU A VERY HAPPY BIRTH DAY
CARTOONIST-PRAN SAHAB

Saturday, July 30, 2011

Painting Competition


Painting Competition

Painting Competition
First National Painting Competition on the Theme – HUM HINDUSTANI
Last Date for Entries
20th August 2011
Prizes
  • 1st 10,000/- Rs
  • 2nd 7000/- Rs
  • 3rd 5000/- Rs
  • 8 Consolation Prizes of Rs 1000/- each.
Size - 2 X 3 feet (maximum)
Send Entries through E-mail & Courier.
Email - cactusngo@gmail.com
Address - Triambak Sharma - 3rd Floor, Above Passport Office, Deen Dayal Upadhyay Nagar, Raipur. Chhattisgarh. 492010
As inspired by Shri Naveen Jindal's dream to see our National Flag on every house. Since 2003 we started to organise a state level drawing competition every year on our National Flag. Every Year we received very good response of this competition. This year we are going for National Painting Competition on the Theme – HUM HINDUSTANI’’
1 – Goal
The Chhattisgarh Association for Creative Training Understanding & Studies (CACTUS), in collaboration with JINDAL, organizes the NATIONAL PAINTING COMPETITION aimed at promoting and enhancing the importance of NATIONAL FLAG through contemporary art.
2 – Techniques
The Competition is open to all artists, without any limit of age, sex, nationality or other qualifications. Each artist can participate with one or more artworks.
3 – Technical details
Painting – works realized with technical and stylistic freedom (oil, tempera, acrylic, ink, vinyl, watercolor, graphite, pencil, collage, etc.) on whatever support (canvas or paper).
All particpants should give the complete detail Name, Address, Phone, Mobile, Email etc at the back of artworks. The decision of Judges will be final and no correspondence will be done in this context. All the entries will be property of Cactus organisation and it can be used for exhibition,printing or selling it for social cause.
For mor info:- http://www.cactuspainting.com/http://www.cactuspainting.com/

Wednesday, July 13, 2011

Brief History of Indian Comics Legends

Shehab Ji.


Brief History of Indian Comics Legends


-:Shehab:-
While searching for the cartoonist/painters of the Indian comics of Golden Era, I came across the fact that there were such great artist who kept the world oblivious to their identity by just doing their work quietly. They never craved for name, fame, or money. There are still some artists whom I have met, who never like reliving their self, to the outer world. Though they have a complete family, they like to spend his their life in isolation. From years, true artist of our country, never chased fame or money. The great artist of Indian comics exact replica of the above statement.

My research for the Indian Artist, took me Delhi, Mumbai, Pune Meerut. So many places around the nation. Some Among them are such artist about whom I couldn’t get, satisfactory information.
One of such great artist were "Shekh Shahabuddin" who was addressed as "Shehab ji" while collecting information about him I came across places like "Daravi,Dongari" in order to know more about him but luck didn't favour me. I could not get any information. Then I found "Prakash Nerulakar" a calligraphy artist at "Indrajal Comics". There were some difficulties as during those days only artist, story writer were mentioned in the comics even editor got their position on the last page in very small fonts even calligraphy was not there.

during many conversation with `Prakash ji, Aabid Surti. information which I got about Shehab ji was a silent story full of addercity. Shehab ji was sincere man though he had  never shared his grieve with any one, still certain glimpse of his pain could be seen in his arts, Let’s take a quick visit through pages of his life.

                  He was born in Allahabad City. When he was 12 yr old, his Parent assassinated. His brother was a bus driver. Shehab ji couldn't complete his graduation after matrices in order to have some earnings, he worked as a carpenter. He did cartooning as free Lansing he created many cartoon characters like "Mangalu madari-Bandar Bihari, chhotu- lambu, Chimpu, Chaman Charli", Among these, his most popular character was Chimpu 1984, which was on the last page of comic "Indrajaal". Apart from this, there was one more character, "Chhotu Lambu" form "Parag", published in 1968. He even created many characters like Mangalu Madari-Bandar Bihari, Chaman Charli for Diamond comics. Apart from cartooning he was even a calligraphy artist. For 1cartoon strip he get Rs.5. 


It was a time when trams use to serve peoples as a medium of travelling in Bombay (Now Mumbai). there came a day, when he was taking his strip to Bennett Coleman company (Times of India),as train arrived he tried to enter in it, and he couldn’t . Just when the second tram arrived he tried to step on it but somehow his leg struck in it. This incident completely altered Shehab ji life even after losing his legs; he always faced difficulties without any grievance .But he continuously attached with cartooning. Now it seemed like there was a kind of invisible bond between him Dilemma. His cartoon strip Chimpu was a picture story without dialogues his immense sense of humor makes people laugh just by looking at that strip by seeing cartoons only , its was seemed that he was highly with Charli Chaplin  who without uttering a single word make people laugh. Even he named his one of character Chaman Charli. he spend his last few days of his life in such isolation that even his friends relatives were couldn't came to know that when this great artist has ended his beautiful journey.

In his short life span Shehab ji was completely devoid towards cartooning become immortal in the history of Indian comics. May be today he is not between us; his cartoon will always paint our live with motley colors.


(based on the conversation with Abid Surti and Prakash Nirulakar).
Avanika Rai,Usman Ali Khan.....:) 


If you feel the given information is incomplete or it can be modified then please inform me.






भारतीय कॉमिक्स सभ्यता की खोज  ''शेहाब जी ''

इंडियन कॉमिक्स के golden age के कार्टूनिस्ट /चित्रकारों और लेखको की खोज करते हुए मैंने जाना की कुछ आर्टिस्ट इतने महान है की वह चुपचाप अपना काम करते रहे .उन्होंने कभी नाम पैसा शोहरत की चाहत नहीं की  .जहाँ तक की आज भी कई ऐसे आर्टिस्ट हैं जिनसे में मिला हूँ ,वह कभी भी अपने आप को बाहरी लोगो के बीच लाना पसंद नहीं करते हैं.
पूरा घर-परिवार होते हुए भी एकाकी जीवन पसंद करते हैं.सदियों से हमारे देश में होता आया है की एक सच्चा और अच्छा आर्टिस्ट कभी भी नाम पैसा शोहरत के पीछे  नहीं भागता है.भारतीय comcis के इन महान आर्टिस्ट ने इसको बखूबी निभाया है.
भारतीय आर्टिस्ट को लेकर मेरी खोज मुझे Delhi,Mumbai , Puna ,Meerut और न जाने कहाँ कहाँ तक ले गई.इनमे कुछ आर्टिस्ट ऐसे हैं जिनके बारे में काफी कोशिश करने के बाद भी  मैं बहुत कम जानकारी जुटा पाया हूँ .
ऐसे ही एक महान कार्टूनिस्ट थे ''शेहाब''(Shehab).शेहाब जी का पूरा नाम ''शेख शहाबुद्दीन'' था.शेहाब जी के बारे मैं जानकारी जुटाते हुए मैंने मुंबई के धारावी ,डोंगरी के कई चक्कर लगाए. लेकिन मेरे हाथ कुछ भी न लगा .तब मैंने इंद्रजाल कॉमिक्स के एक कैलीग्राफी आर्टिस्ट ''प्रकाश नेरुलकर'' को ढून्ढ निकला .यह बहुत मुश्किल था क्यूंकि उस वक़्त कॉमिक्स में सिर्फ आर्टिस्ट और कहानीकार का नाम ही होता था .कैलीग्राफी आर्टिस्ट का नाम नहीं होता था .एडिटर का नाम भी कॉमिक्स के आखरी पन्ने में बहुत छोटे फॉण्ट में दिया जाता था.
प्रकाश जी और आबिद सुरती जी से बात करते हुए मुझे शेहाब जी के बारे में जो जानकारी प्राप्त हुई वह दर्द में डूबी हुई एक आर्टिस्ट की मूक गाथा है.शेहाब जी बहुत कम बोलने वाले इन्सान थे .उन्होंने अपनी जिंदिगी के दर्द को कभी किसी के साथ नहीं बाटा,हालाकि कभी कभी यह दर्द जहाँ -तहां उनकी आर्ट में बयां हो जाता है.
चलिए अब शेहाब जी की जिंदिगी में झाकते हैं.शेहाब जी का जन्म इलाहाबाद में हुआ था .जब वह १२ साल के थे तब उनके माँ -बाप का देहांत हो गया था.उनके एक भाई थे जो की बस ड्राईवर  थे.शेहाब जी ने मेट्रिक तक ही शिक्षा पाई थी .अपना गुज़ारा चलाने के लिए उन्होंने कारपेंटर का भी काम किया था.उन्होंने कार्टूनिग का काम फ्रीलांसिंग  के रूप में  शुरू किया था.उन्होंने कई कॉमिक्स Character की रचना की थी .जैसे -मंगलू मदारी बन्दर बिहारी ,छोटू लम्बू ,चिम्पू,चमन चार्ली .इनसब में सबसे ज्यादह मशहुर था उनका चिम्पू.चिम्पू 1984 में इंद्रजाल कॉमिक्स के आखरी पन्नो में हुआ करता था.इसके अलावा उनका एक और Character था ...छोटू -लम्बू जो की पराग में 1958 में publish हुआ करता था.Diamond कॉमिक्स के लिए उन्होंने कुछ कॉमिक्स भी बनाये  थे.जैसे -मंगलू मदारी -बन्दर बिहारी,छोटू लम्बू.कार्टूनिंग के साथ -साथ वह कैलीग्राफी भी किया करते थे.....उस समय एक कार्टून स्ट्रिप के उन्हें 5 रुपये मिला करते थे .
यह वह दौर था जब मुंबई में ट्राम चला करती थीं.लोग सुबह-सुबह अपने काम धंधो को जाने के लिए ट्राम का इस्तेमाल किया करते थे .ऐसा ही एक दिन रहा होगा जब शेहाब जी अपनी बने हुई स्ट्रिप को लेकर Bennett and coleman (Times of India) के दफ्टर को निकले थे.ट्राम आ कर रुकी और शेहाब जी ने चढ़ने  की कोशिश की लेकिन कामयाब नहीं हुए.कुछ ही समय के इंतज़ार में दूसरी ट्राम आ गई .....इसको पकड़ने के चक्कर में न जाने कैसे शेहाब जी के पैर ट्राम के नीचे आ गए .इस दुर्घटना ने शेहाब जी की जिंदिगी बादल डाली .दोनों पैर गवा देने के बाद भी शेहाब जी ने मुश्किलों से हार नहीं  मानी. वह कार्टूनिग से जुड़े रहे.मुश्किलों और मुफलिसी से जैसे शेहाब जी ने अब दोस्ती कर ली थी.शेहाब जी का कार्टून स्ट्रिप चिम्पू ,बिना dialogue की हुआ करती थी उनका गज़ब का sens of humer लोगो को सिर्फ चित्र देख कर हँसा देता था .उनके कार्टून को देख कर लगता है की वह कहीं न कहीं महान आर्टिस्ट  चार्ली चैपलिन से inspire थे .जो की बिना एक भी शब्द बोले लोगो को हँसा-हँसा कर लोटपोट कर देता था.शेहाब जी के एक कार्टून character का नाम भी चमन चार्ली  है.
          अपनी जिंदिगी के आखरी दिन शेहाब जी ने इतनी गुमनामी में गुज़ारे की उनके दोस्त और निकट सम्बन्धी लोगो भी नहीं पता चल पाया की शेहाब जी कब इस दुनिया को अलविदा कह कर एक अनजाने सफ़र की ओर बढ गए.अपनी छोटी सी जिंदिगी में शेहाब जी ने जितना भी कार्टूनिंग में काम किया वह भारतीय कॉमिक्स के इतिहास में उनको अमर करने के लिए काफी है.आज शेहाब जी आज हमारे बीच  नहीं है लेकिन उनके बनाये कार्टून हमारी जिंदगी में सदा ख़ुशी के रंग घोलते रहेंगे.
(आबिद सुरती और प्रकाश नेरुलकर के साथ हुई बात-चीत पर आधारित).
यदि आप को लगता है की दी गई जानकारी में कुछ कमियां है या इसको और भी बढाया जा सकता है तो कीर्प्या हमे ज़रूर बताए. .

بھارتی كمكس تہذیب کی تلاش ''شےهاب جی''

انڈین كمكس کے golden age کے کارٹونسٹ / چتركارو اور لےكھكو کی تلاش کرتے ہوئے میں نے جانا کی کچھ آرٹسٹ اتنے عظیم ہے کی وہ چپ چاپ اپنا کام کرتے رہے. انہوں نے کبھی نام پیسہ شہرت کی چاہت نہیں کی. جہاں تک کی آج بھی کئی ایسے آرٹسٹ ہیں جن سے میں ملا ہوں ، وہ کبھی بھی اپنے آپ کو بیرونی علامت (لوگو) کے درمیان لانا پسند نہیں کرتے ہیں. مکمل گھر -- خاندان ہوتے ہوئے بھی اےكاكي زندگی پسند کرتے ہیں. صدیوں سے ہمارے ملک میں ہوتا آیا ہے اس کی ایک سچا اور اچھا آرٹسٹ کبھی بھی نام پیسہ شہرت کے پیچھے نہیں بھاگتا ہے. بھارتی comcis کے ان عظیم آرٹسٹ نے اس کو بخوبی نبھایا ہے. بھارتی آرٹسٹ کو لے کر میری تلاش مجھے Delhi ، Mumbai ، Puna ، Meerut اور نہ جانے کہاں کہاں تک لے گئی. ان میں کچھ آرٹسٹ ایسے ہیں جن کے بارے میں کافی کوشش کرنے کے بعد بھی میں بہت کم معلومات جٹا پایا ہوں. ایسے ہی ایک عظیم کارٹونسٹ تھے ''شےهاب'' (Shehab). شےهاب جی کا پورا نام شیخ شہاب الدین ''تھا. شےهاب جی کے بارے میں معلومات جٹاتے ہوئے میں نے ممبئی کے دھاراوي ، ڈوگري کے کئی چکر لگائے. لیکن میرے ہاتھ کچھ بھی نہ لگا ، تب میں نے ادرجال كمكس کے ایک كےليگراپھي آرٹسٹ ''روشنی نےرلكر'' کو ڈھونڈھ نکلا. یہ بہت مشکل تھا کیوںک اس وقت كمكس میں صرف آرٹسٹ اور کہانی کار کا نام ہی ہوتا تھا. كےليگراپھي آرٹسٹ کا نام نہیں ہوتا تھا. ایڈیٹر کا نام بھی كمكس کے آخری صفحے پر بہت چھوٹے پھٹ میں دیا جاتا تھا. پرکاش جی اور عابد سرتي جی سے بات کرتے ہوئے مجھے شےهاب جی کے بارے میں جو معلومات حاصل ہوئی وہ درد میں ڈوبی ہوئی ایک آرٹسٹ کی خاموش کہانی ہے. شےهاب جی بہت کم بولنے والے انسان تھے. انہوں نے اپنی جدگي کے درد کو کبھی کسی کے ساتھ نہیں باٹا ، حالانکہ کبھی کبھی یہ درد جہاں -- تها ان کی آرٹ میں بیاں ہو جاتا ہے. چلئے اب شےهاب جی کی جدگي میں جھاكتے ہیں. شےهاب جی کی پیدائش الہ آباد میں ہوا تھا جب وہ 12 سال کے تھے تب ان کے ماں -- باپ کا انتقال ہو گیا تھا. ان کے ایک بھائی تھے جو کی بس ڈرائیور تھے. شےهاب جی نے مےٹرك تک ہی تعلیم پائی تھی. اپنا گزارا چلانے کے لئے انہوں نے كارپےٹر کا بھی کام کیا تھا. انہوں نے كارٹونگ کا کام پھريلاسگ کے طور پر شروع کیا تھا. انہوں نے کئی كمكس Character کی تخلیق کی تھی. جیسے -- مگلو مداري بندر بہاری ، چھوٹو لمبو ، چمپو ، چمن چارلي. انسب میں سب سے جياده مشهر تھا ان کا چمپو. چمپو 1984 میں ادرجال كمكس کے آخری پننو میں ہوا کرتا تھا ، اس کے علاوہ ان کا ایک اور Character تھا... چھوٹو -- لمبو جو کی پراگ میں 1958 میں publish ہوا کرتا تھا . Diamond كمكس کے لیے انہوں نے کچھ كمكس بھی بنائے تھے. جیسے -- مگلو مداري -- بندر بہاری ، چھوٹو لمبو. كارٹونگ کے ساتھ -- ساتھ وہ كےليگراپھي بھی کیا کرتے تھے..... اس وقت ایک کارٹون سٹرپ کے انہیں 5 روپے ملا کرتے تھے. یہ وہ دور تھا جب ممبئی میں ٹرام چلا کرتی تھیں. لوگ صبح -- صبح اپنے کام دھدھو کو جانے کے لئے ٹرام کا استعمال کیا کرتے تھے. ایسا ہی ایک دن رہا ہوگا جب شےهاب جی اپنی بنے ہوئی سٹرپ کو لے کر Bennett and coleman (Times of India) کے دپھٹر کو نکلے تھے. ٹرام آ کر رکی اور شےهاب جی نے چڑھنے کی کوشش کی لیکن کامیاب نہیں ہوئے. کچھ ہی وقت کے انتظار میں دوسری ٹرام آ گئی..... اس کو پکڑنے کے چکر میں نہ جانے کیسے شےهاب جی کے پیر ٹرام کے نیچے آ گئے. اس حادثے نے شےهاب جی کی جدگي بادل ڈالی. دونوں پاؤں گوا دینے کے بعد بھی شےهاب جی نے مشکلوں سے ہار نہیں مانی. وہ كارٹونگ سے جڑے رہے. مشکلوں اور مپھلسي سے جیسے شےهاب جی نے اب دوستی کر لی تھی. شےهاب جی کا کارٹون سٹرپ چمپو ، بغیر dialogue کی ہوا کرتی تھی ان کا غضب کا sens of humer علامت کو صرف تصاویر دیکھ کر ہنسا دیتا تھا. ان کارٹون کو دیکھ کر لگتا ہے کی وہ کہیں نہ کہیں عظیم آرٹسٹ چارلي چےپلن سے inspire تھے. جو کی بنا ایک بھی لفظ بولے علامت کو ہنسا -- ہنسا کر لوٹپوٹ کر دیتا تھا. شےهاب جی کے ایک کارٹون character کا نام بھی چمن چارلي ہے.
          
اپنی جدگي کے آخری دن شےهاب جی نے اتنی گمنامی میں گزارے کی ان کے دوست اور قریبی رشتہ دار علامت بھی نہیں پتہ چل پایا کی شےهاب جی کب اس دنیا کو الوداع کہہ کر ایک انجانے سفر کی طرف بڑھ گئے. اپنی چھوٹی سی جدگي میں شےهاب جی نے جتنا بھی كارٹونگ میں کام کیا وہ بھارتی كمكس کی تاریخ میں ان کو امر کرنے کے لئے کافی ہے. آج شےهاب جی آج ہمارے درمیان نہیں ہے لیکن ان کے بنائے کارٹون ہماری زندگی میں ہمیشہ خوشی کے رنگ گھولتے رہیں گے.
(عابد سرتي اور روشنی نےرلكر کے ساتھ ہوئی بات -- چیت پر مبنی). اگر آپ کو لگتا ہے کی دی گئی معلومات میں کچھ خامیاں ہیں یا اس کو اور بھی بڈھایا جا سکتا ہے تو كيرپيا ہمیں ضرور بتائے. .

Wednesday, June 22, 2011

Indian comic books fight back


Indian comic books fight back
An Indian man passes a mural depicting Conan the Barbarian on a wall in the Indian city of Bangalore. The country's first comic book convention opens in the capital New Delhi on Saturday, with organisers expecting thousands of fans to prove the art form is thriving in the Internet age.
An Indian man passes a mural depicting Conan the Barbarian on a wall in the Indian city of Bangalore. The country's first comic book convention opens in the capital New Delhi on Saturday, with organisers expecting thousands of fans to prove the art form is thriving in the Internet age.
An Indian comic book publisher (C) and illustrators from his studio are seen working on a comic book called "The Believers," the first comic book which tells of the rise of religious extremism in the southern Indian state of Kerala. The Indian comic book is experiencing a renaissance after ten years in the doldrums.
An Indian comic book publisher (C) and illustrators from his studio are seen working on a comic book called "The Believers," the first comic book which tells of the rise of religious extremism in the southern Indian state of Kerala. The Indian comic book is experiencing a renaissance after ten years in the doldrums.
Walt Disney characters are seen decorating a "tuk-tuk" scooter-taxi. With a steady drip of American cartoons and superhero movies, the young comic book reader in India ditched Hindu gods and goddesses for the adventures of Spiderman, Batman, X-Men and their ilk.
Walt Disney characters are seen decorating a "tuk-tuk" scooter-taxi. With a steady drip of American cartoons and superhero movies, the young comic book reader in India ditched Hindu gods and goddesses for the adventures of Spiderman, Batman, X-Men and their ilk.
     India's first comic book convention opens in the capital New Delhi on Saturday, with organisers expecting thousands of fans to prove the art form is thriving in the Internet age.
Comic Con India will introduce the country's booming youth market to new graphic characters including a warrior blessed by the sun god and a half-otter half-human superhero.
Jatin Varma, organiser of the two-day convention, told AFP that the effects of India's recent economic dynamism have spread from big business into the alternative worlds of youth culture and underground art.
"The number of artists working on comic books has grown, new graphic novels are being launched, bookstores are developing dedicated areas to display comics, it's all pretty exciting," he said.
The Indian comic book is experiencing a renaissance after ten years in the doldrums.
Many middle-class Indians grew up on a diet of Amar Chitra Katha (Immortal Picture Stories) comics, which specialised in Hindu myths, historical narratives and ancient folktales.
But the arrival of cable television and video games in the 1990s saw a sharp drop in readership.
"Indian stories suddenly felt too old-fashioned -- kids were not excited by the idea that they were reading the same books their parents were raised on," said Varma.
Rina Puri, editor of Amar Chitra Katha series, put it more bluntly. "The Cartoon Network channel came to India and it pretty much halved our sales," she said.
With a steady drip of American cartoons and superhero movies, the young comic book reader ditched Hindu gods and goddesses for the adventures of Spiderman, Batman, X-Men and their ilk.
"Every child wants to have some special powers. When I was growing up, I used to wonder where the Indian superheroes were," Sanjay Gupta, president of regional Hindi-language publisher Raj Comics, told AFP.
Gupta's superheroes are defiantly Indian, drawing on popular cultural beliefs -- and they are selling well.
One series narrates the adventures of Nagraj (snake king), whose powers are based on ancient Hindu tales.
Ostensibly an employee in a TV station, he can produce snakes out of thin air and has the ability to spew venom and destroy his enemies with a single bite.
"His eyes hypnotise, his poison breath sears and his bite kills. Weapons do no harm him as his micro-snakes instantly heal the wounds," explains his official Internet profile.
The series also reflects contemporary Indian anxieties about crime, graft and terrorism.
In 2009 Nagraj fought the militants responsible for the 2008 Mumbai attacks, while recent stories have focused on Doga, a vigilante who wears a dog mask to conceal his identity while bringing corrupt politicians to justice.
The revival of comic books will be underlined at Comic Con, with graphic artists rubbing shoulders with children as well as publishers keen to spot the next big thing.
"We know this can't be compared to international conventions like the San Diego Comic-Con, but we see this as a sound investment," Comic Con India's Varma said, vowing the event would become an annual fixture.
"I expect a lot of comic book fans to turn up and hopefully the event will also inspire other people to enter the world of comic books once they see how much fun it can be."
One key element to the convention is the potential for movie cross-overs -- and Indian comic books and graphic novels are catching the eyes of film producers.
"The recent success of films based on comic series have led to a reverse trail of people seeking the book that the film was based on," Amruta Patil, one of the country's most promising graphic novelists, told AFP.
"People read 'V for Vendetta' and '300' after they had seen the hit films. One overhears the terms 'graphic novel' and 'comic' flying around far more frequently, and in more unexpected corners of the room."
Patil's 2008 debut novel "Kari" and Sarnath Banerjee's "Corridor", published in 2004, are aimed squarely at adult readers, with snake-wielding superheroes replaced by impotent men and androgynous lesbians.
"When I wrote "Corridor" and tried to get publishers interested, no one understood what on earth I was writing about. At times, I felt like a pickle seller, going from place to place, trying to sell my book," Banerjee said.
Today, things have changed, he said. "Everyone wants to make a graphic novel now: jump on the bandwagon."
source file:-http://www.france24.com

Sunday, May 1, 2011

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नई दिल्ली। देश की एकमात्र कार्टून पत्रिका कार्टून वाच द्वारा प्रतिवर्श आयोजित कार्टून महोत्सव इस बार  दिल्ली के हिंदी भवन  में किया गया. 29 अप्रैल 2011 को हिन्दी भवन दिल्ली में इसका उद्घाटन पूर्व राष्ट्रपति और महान वैज्ञानिक डॉ.ए.पी.जे. अब्दुल कलाम ने एक कार्टून caricature बना कर किया. इस बार कार्टून वाच की तरफ से लाईफ टाईम एचीवमेंट एवार्ड पांच वरिष्ठ कार्टूनिस्टों को दिया गया. टाईम्स आफ इंडिया समूह के अजीत नैनन, नवभारत टाईम्स के पूर्व कार्टूनिस्ट काक, मधुमुस्कान पत्रिका के नन्हा जासूस बबलू और कलमदास के रचयिता हुसैन जामिन, छत्तीसगढ के बी.वी.पांडुरंग राव और दिल्ली दैनिक जागरण के कार्टूनिस्ट जगजीत राणा को पूर्व राष्ट्रपति डॉ.ए.पी.जे.अब्दुल कलाम के हाथो द्वारा लाईफ टाईम एचीवमेंट एवार्ड प्रदान कर के सम्मानित किया गया . उल्लेखनीय है कि पूर्व के वर्षो में कार्टून महोत्सव में आर.के.लक्ष्मण, आबिद सुरती, चाचा चौधरी के जनक प्राण,  सुधीर दर, राजेन्द्र धोडपकर, एच.एम.सूदन, सुरेष सावंत और श्याम जगोता सहित अनेक कार्टून हस्तियां सम्मानित हो चुकी हैं. इस महोत्सव में देश के विभिन्न हिस्सों से कार्टूनिस्ट शामिल हुए. कार्टून वाच पत्रिका के प्रकाशन के पंद्रहवें वर्ष पर हुए  इस आयोजन के अवसर पर पत्रिका के विशेष अंक का विमोचन भी डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम द्वारा किया गया. इस अंक में इस बार सम्मानित किये जा रहे कार्टूनिस्टों के कार्टून प्रकाशित किये गए हैं.

पत्रिका के संपादक त्रयम्बक शर्मा ने कहा कि कार्टून वाच पत्रिका ने विगत पंद्रह वर्षो में छत्तीसगढ का नाम देश के अलावा विदेशो में भी रोशन किया है. लंदन में दो सप्ताह इस पत्रिका द्वारा प्रदशनी लगाई गई, सम्पादक त्रयम्बक शर्मा का साक्षात्कार बीबीसी लंदन के हिन्दी रेडियो सेवा से किया गया, शर्मा को नेपाल में आयोजित पांच देशो के कार्टूनिस्टों के सम्मेलन में आमंत्रित किया गया. हाल ही में कार्टून वाच ने दिल्ली में पहली बार आयोजित कामिक कन्वेशन - कामिकान में भी देश की एकमात्र कार्टून पत्रिका के रूप में भाग लिया था.....अगली पोस्ट में जारी...