Monday, June 5, 2017

भीख में मिली कॉमिक्स ने कार्टूनिस्ट बना दिया

आबिद सुरतीइमेज कॉपीरइटMADHU PAL
चर्चित कार्टूनिस्ट और लेखक 81 वर्षीय आबिद सुरती बीते कुछ साल से लोगों के घरों में टपकते नल और पाइपलाइन निशुल्क ठीक करते हैं.
आबिद सुरती ने साल 2007 में 'द ड्रॉप डेड फाउंडेशन' अभियान की शुरुआत की और तब से लोगों को पानी बचाने के लिए सचेत कर रहे हैं.
सुरती बताते हैं कि उनका बचपन बेहद ग़रीबी में बीता और अधिकांश बचपन फुटपाथ पर गुज़रा.
पानी बचाओइमेज कॉपीरइटABID
बीबीसी के साथ फ़ेसबुक लाइव में सुरती बताते हैं कि विभाजन के समय उनका आधा कुनबा पाकिस्तान चला गया था और उनकी माँ की ज़िद के कारण आधा कुनबा हिंदुस्तान में रुक गया.
उन्होंने बताया, "हम सभी लोग एक खोली में रहते थे. फुटपाथ पर सोते थे. हमारी परवरिश करीब-करीब फुटपाथ पर ही हुई."
सुरती के कार्टूनों की तरफ रुझान बढ़ने की घटना भी कुछ कम मज़ेदार नहीं थी.
सुरती ने बताया, "परिवार बहुत ग़रीबी में था. माँ दूसरों के घरों में झाड़ू-पोंछा करती थी और हम बच्चे लोग भीख मांगने जाया करते थे. मैं तब सात-आठ साल का रहा हूँगा.''
उन्होंने कहा, ''तब दूसरे विश्व युद्ध के फौजी मुंबई के डॉक इलाके में उतरा करते थे और फिर एक छोटी गाड़ी उन्हें छत्रपति शिवाजी टर्मिनल स्टेशन तक ले जाती थी. हम उस ट्रेन के पीछे-पीछे भागा करते थे."
आबिद सुरतीइमेज कॉपीरइटABID
सुरती बताते हैं, "हम 6-7 बच्चों का गैंग था. हम लोग उनसे डॉलर, सैंडविच मांगा करते थे. एक बार किसी ने एक कॉमिक उछाला...सब उस पर टूट पड़े. किसी के हाथ में एक तो किसी के हाथ दो पन्ने आए. मेरे हिस्से एक पन्ना आया और वो पन्ना था मिकी माउस कॉमिक का."
उन्होंने कहा कि जब ये देखा तो लगा कि ये तो वो भी बना सकते हैं. सुरती बताते हैं, "शुरुआत मिकी माउस से हुई.. और फिर मैं ढब्बू जी पर पहुँचा."
और उनके ढब्बू जी ने भारत में क्या तहलका मचाया, इससे सभी वाक़िफ़ हैं.

कॉमिक कैरेक्टर प्रिया रोकेगी तेज़ाब हमला

कॉमिक कैरेक्टर प्रिया रोकेगी तेज़ाब हमला

प्रिया मिररइमेज कॉपीरइटARTWORK BY DAN GOLDMAN
Image captionबाघ पर सवार कॉमिक कैरेक्टर प्रिया मिरर
काफ़ी मशहूर हो चुकी बलात्कार पीड़ित 'सुपर हीरो' कार्टून कैरेक्टर प्रिया शक्ति इस बार बदले हुए रूप में है.
इसका नाम भी बदला हुआ है. प्रिया शक्ति 'प्रिया मिरर' बन चुकी है और तेज़ाब हमलों के ख़िलाफ़ मोर्चा खोल चुकी है.
कार्टून चरित्र प्रिया दो साल पहले हिंदू पौराणिक कथाओं से प्रेरित हो कर शुरू किया गया था. यह एक बलात्कार पीड़िता की कहानी है, जो यौन हमलों के ख़िलाफ़ लड़ती है.
प्रिया मिरर भारत और दूसरे देशों में हो रहे तेज़ाब हमलों पर ध्यान केंद्रित करती है. यह न्यूयॉर्क, बोगोटा और दिल्ली में तेज़ाब हमलों की शिकार महिलाओं की कहानी कहती है.
इसे भारत-अमरीकी फ़िल्मकार राम देवीनेनी ने तैयार किया है.
वो बीबीसी से कहते हैं, "मैंने यह विषय इसलिए चुना कि बलात्कार तेज़ाब हमले से जुड़ा हुआ मामला है. दोनों ही मामलों में पितृसत्तात्मक व्यवस्था, सामाजिक कलंक और पीड़िता के प्रति लोगों का रवैया एक समान है. दरअसल, तेज़ाब हमले के पीड़ितों के प्रति लोगों की संवेदना दस गुना कम है क्योंकि ये धब्बे साफ तौर पर दिखते हैं."
भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, कोलंबिया और अफ़्रीका में हर साल हज़ारों महिलाएं तेज़ाब हमले का शिकार होती हैं. लगभग हर मामले में हमलावर पुरुष होता है, वह बदले की भावना से ऐसा करता है और लगभग सभी मामलों में वह प्रेम में ठुकाराए जाने के बाद ही यह कदम उठाता है.
सोनिया चौधरी, मोनिका सिंह, लक्ष्मी शॉइमेज कॉपीरइटARTWORK BY DAN GOLDMAN
Image captionतेज़ाब हमले की पीड़िता सोनिया चौधरी, मोनिका सिंह और लक्ष्मी शॉ को कॉमिक कार्टून में दिखाया गया है.
देवीनेनी कहते हैं कि तेज़ाब हथियारों से "ज़्यादा ख़तरनाक" है क्योंकि यह "निहायत ही भ्रामक" होता है.
उन्होंने कहा, "यह साफ तरल है जो देखने में डरावना नहीं लगता है. इसे हासिल करना आसान है और कई बार हमलावर भी नहीं जानते कि तेज़ाब हमले पीड़ितों को किस कदर तबाह कर सकते हैं. "
न्यूयॉर्क के लिंकन सेंटर में होने वाले फ़िल्मोत्सव के दौरान 36 पृष्ठों इस कॉमिक्स का लोकार्पण किया जाएगा. यह पांच भाषाओं- अंग्रेज़ी, हिंदी, पुर्तगाली, स्पेनिश और इतालवी में जारी किया जाएगा. इसे वेबसाइट से मुफ़्त डाउनलोड भी किया जा सकेगा.
कॉमिक्स में प्रिया अपने खूंखार बाघ 'साहस' पर सवार है. वह खलनायक 'अंहकार' के किले पर हमला करती है और भला आदमी दिखने वाल दुष्ट के चंगुल से तेज़ाब हमला पीड़ितों को आज़ाद कराती है.
सह लेखिका पारोमिता वोहरा कहती हैं कि प्रिया का हथियार अलग किस्म का है. वह पीड़िता से कहती है कि वे 'प्रेम के आईने' में झांके और उन्हें दागों के इतर दिखेगा, उन्हें वह दिखेगा जो वे पहले थीं, मसलन, गायक, बढ़ई या चित्रकार.
तेज़ाब हमलों के ख़िलाफ़ कॉमिकइमेज कॉपीरइटARTWORK BY DAN GOLDMAN
प्रिया की पहली किताब साल 2012 में दिल्ली में 23 साल की छात्रा के साथ हुए सामूहिक बलात्कार के बाद आई थी. पूरी दुनिया में ज़बरदस्त विरोध के बाद भारत ने लिंग के आधार पर होने वाले अपराधों से जुड़े क़ानून कड़े किए और मौत की सज़ा को भी शामिल किया.
वोहरा कहती हैं कि खलनायक भी पितृसत्तात्मक व्यवस्था की ही उपज हैं.
उन्होंने बीबीसी से कहा, "जब एक स्त्री किसी पुरुष को मना कर देती है तो उसके अहम पर चोट पहुंचती है. यह अहम जब तेज़ाब से मिलता है तो पूरे समाज को बर्बाद कर देता है. इस तरह वह खलनायक है, पर वह भी पीड़ित ही है. यदि हम इस पितृसत्तात्मक मानसिकता को बदलना चाहते हैं तो हमें खलनायक और पीड़िता, दोनों को अलग अलग नज़रिए से देखना की ज़रूरत है."
कॉमिक्स से जुड़े चित्रकार डैन गोल्डमैन का कहना है कि उन्होंने पहले पूरी दनिया के तेज़ाब पीड़ितों की तस्वीरें देखी और फिर चित्र उकेरना शुरू किया.
उन्होंने बीबीसी से कहा, "मैंने संतुलन बनाने की और वास्तविकता से मुंह नहीं मोड़ने की कोशिश की, पर वे जीते जागते लोग हैं और उन्हें अपने अंदर देखना था ताकि वे प्रेम के आईने में झांक सकें."
गोल्डमैन ने अमरीका और ब्राज़ील में काफ़ी समय बिताया है, लिहाज़ा, उन्हें तेज़ाब हमले की समस्या के बारे में पता है.
वे कहते हैं, "मुझे पता था कि कोलंबिया में ऐसा होता है, पर मैं यह नहीं समझ पाया कि यह इतना ज़्यादा होता है."
बाघ पर सवार प्रिया मिररइमेज कॉपीरइटARTWORK BY DAN GOLDMAN
उनके मुताबिक़, अमरीका में तेज़ाब हमले के बारे में लोगों को जानकारी नहीं है. वे कहते हैं कि अमरीका में जब इस मुद्दे पर चर्चा की तो लोगों ने कहा, "लेकिन आपको तेज़ाब कहां से और कैसे मिलेगा? भारत और दूसरे कुछ देशों में यह इतनी आसानी से मिल जाता है, लोग इस पर सदमे में पड़ जाते हैं. "
तेज़ाब के कई हमलों के बाद सुप्रीम कोर्ट ने इसकी बिक्री पर नियंत्रण करने को कहा.
तो क्या प्रिया समाज को शीशा दिखा पाएगी? क्या प्रेम का आईना पीड़ितों को मुक्ति दिला पाएगा?
न्यूयॉर्क में रहने वाली मोनिका सिंह का मानना है कि तेज़ाब के हमलों के ख़िलाफ़ यह आईना ही सबसे कारगर हथियार हो सकता है.
वे जब 19 साल की थी, शादी का एक प्रस्ताव ठुकरा देने के बाद उन पर तेज़ा से हमला कर दिया गया था. उनके लिए सबसे कठिन काम था आईने में अपना चेहरा देखना.
वे एक संस्था चलाती हैं, जो तेज़ाब हमलों के पीड़ितों की मदद करता है. उनका मानना है कि यह कॉमिक्स युवाओं को तेज़ाब हमले के असर के बारे में लोगों को बताएगा.
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