बीबीसी के साथ फ़ेसबुक लाइव में सुरती बताते हैं कि विभाजन के समय उनका आधा कुनबा पाकिस्तान चला गया था और उनकी माँ की ज़िद के कारण आधा कुनबा हिंदुस्तान में रुक गया.
उन्होंने बताया, "हम सभी लोग एक खोली में रहते थे. फुटपाथ पर सोते थे. हमारी परवरिश करीब-करीब फुटपाथ पर ही हुई."
सुरती के कार्टूनों की तरफ रुझान बढ़ने की घटना भी कुछ कम मज़ेदार नहीं थी.
सुरती ने बताया, "परिवार बहुत ग़रीबी में था. माँ दूसरों के घरों में झाड़ू-पोंछा करती थी और हम बच्चे लोग भीख मांगने जाया करते थे. मैं तब सात-आठ साल का रहा हूँगा.''
उन्होंने कहा, ''तब दूसरे विश्व युद्ध के फौजी मुंबई के डॉक इलाके में उतरा करते थे और फिर एक छोटी गाड़ी उन्हें छत्रपति शिवाजी टर्मिनल स्टेशन तक ले जाती थी. हम उस ट्रेन के पीछे-पीछे भागा करते थे."
सुरती बताते हैं, "हम 6-7 बच्चों का गैंग था. हम लोग उनसे डॉलर, सैंडविच मांगा करते थे. एक बार किसी ने एक कॉमिक उछाला...सब उस पर टूट पड़े. किसी के हाथ में एक तो किसी के हाथ दो पन्ने आए. मेरे हिस्से एक पन्ना आया और वो पन्ना था मिकी माउस कॉमिक का."
उन्होंने कहा कि जब ये देखा तो लगा कि ये तो वो भी बना सकते हैं. सुरती बताते हैं, "शुरुआत मिकी माउस से हुई.. और फिर मैं ढब्बू जी पर पहुँचा."
और उनके ढब्बू जी ने भारत में क्या तहलका मचाया, इससे सभी वाक़िफ़ हैं.
काफ़ी मशहूर हो चुकी बलात्कार पीड़ित 'सुपर हीरो' कार्टून कैरेक्टर प्रिया शक्ति इस बार बदले हुए रूप में है.
इसका नाम भी बदला हुआ है. प्रिया शक्ति 'प्रिया मिरर' बन चुकी है और तेज़ाब हमलों के ख़िलाफ़ मोर्चा खोल चुकी है.
कार्टून चरित्र प्रिया दो साल पहले हिंदू पौराणिक कथाओं से प्रेरित हो कर शुरू किया गया था. यह एक बलात्कार पीड़िता की कहानी है, जो यौन हमलों के ख़िलाफ़ लड़ती है.
प्रिया मिरर भारत और दूसरे देशों में हो रहे तेज़ाब हमलों पर ध्यान केंद्रित करती है. यह न्यूयॉर्क, बोगोटा और दिल्ली में तेज़ाब हमलों की शिकार महिलाओं की कहानी कहती है.
इसे भारत-अमरीकी फ़िल्मकार राम देवीनेनी ने तैयार किया है.
वो बीबीसी से कहते हैं, "मैंने यह विषय इसलिए चुना कि बलात्कार तेज़ाब हमले से जुड़ा हुआ मामला है. दोनों ही मामलों में पितृसत्तात्मक व्यवस्था, सामाजिक कलंक और पीड़िता के प्रति लोगों का रवैया एक समान है. दरअसल, तेज़ाब हमले के पीड़ितों के प्रति लोगों की संवेदना दस गुना कम है क्योंकि ये धब्बे साफ तौर पर दिखते हैं."
भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, कोलंबिया और अफ़्रीका में हर साल हज़ारों महिलाएं तेज़ाब हमले का शिकार होती हैं. लगभग हर मामले में हमलावर पुरुष होता है, वह बदले की भावना से ऐसा करता है और लगभग सभी मामलों में वह प्रेम में ठुकाराए जाने के बाद ही यह कदम उठाता है.
देवीनेनी कहते हैं कि तेज़ाब हथियारों से "ज़्यादा ख़तरनाक" है क्योंकि यह "निहायत ही भ्रामक" होता है.
उन्होंने कहा, "यह साफ तरल है जो देखने में डरावना नहीं लगता है. इसे हासिल करना आसान है और कई बार हमलावर भी नहीं जानते कि तेज़ाब हमले पीड़ितों को किस कदर तबाह कर सकते हैं. "
न्यूयॉर्क के लिंकन सेंटर में होने वाले फ़िल्मोत्सव के दौरान 36 पृष्ठों इस कॉमिक्स का लोकार्पण किया जाएगा. यह पांच भाषाओं- अंग्रेज़ी, हिंदी, पुर्तगाली, स्पेनिश और इतालवी में जारी किया जाएगा. इसे वेबसाइट से मुफ़्त डाउनलोड भी किया जा सकेगा.
कॉमिक्स में प्रिया अपने खूंखार बाघ 'साहस' पर सवार है. वह खलनायक 'अंहकार' के किले पर हमला करती है और भला आदमी दिखने वाल दुष्ट के चंगुल से तेज़ाब हमला पीड़ितों को आज़ाद कराती है.
सह लेखिका पारोमिता वोहरा कहती हैं कि प्रिया का हथियार अलग किस्म का है. वह पीड़िता से कहती है कि वे 'प्रेम के आईने' में झांके और उन्हें दागों के इतर दिखेगा, उन्हें वह दिखेगा जो वे पहले थीं, मसलन, गायक, बढ़ई या चित्रकार.
प्रिया की पहली किताब साल 2012 में दिल्ली में 23 साल की छात्रा के साथ हुए सामूहिक बलात्कार के बाद आई थी. पूरी दुनिया में ज़बरदस्त विरोध के बाद भारत ने लिंग के आधार पर होने वाले अपराधों से जुड़े क़ानून कड़े किए और मौत की सज़ा को भी शामिल किया.
वोहरा कहती हैं कि खलनायक भी पितृसत्तात्मक व्यवस्था की ही उपज हैं.
उन्होंने बीबीसी से कहा, "जब एक स्त्री किसी पुरुष को मना कर देती है तो उसके अहम पर चोट पहुंचती है. यह अहम जब तेज़ाब से मिलता है तो पूरे समाज को बर्बाद कर देता है. इस तरह वह खलनायक है, पर वह भी पीड़ित ही है. यदि हम इस पितृसत्तात्मक मानसिकता को बदलना चाहते हैं तो हमें खलनायक और पीड़िता, दोनों को अलग अलग नज़रिए से देखना की ज़रूरत है."
कॉमिक्स से जुड़े चित्रकार डैन गोल्डमैन का कहना है कि उन्होंने पहले पूरी दनिया के तेज़ाब पीड़ितों की तस्वीरें देखी और फिर चित्र उकेरना शुरू किया.
उन्होंने बीबीसी से कहा, "मैंने संतुलन बनाने की और वास्तविकता से मुंह नहीं मोड़ने की कोशिश की, पर वे जीते जागते लोग हैं और उन्हें अपने अंदर देखना था ताकि वे प्रेम के आईने में झांक सकें."
गोल्डमैन ने अमरीका और ब्राज़ील में काफ़ी समय बिताया है, लिहाज़ा, उन्हें तेज़ाब हमले की समस्या के बारे में पता है.
वे कहते हैं, "मुझे पता था कि कोलंबिया में ऐसा होता है, पर मैं यह नहीं समझ पाया कि यह इतना ज़्यादा होता है."
उनके मुताबिक़, अमरीका में तेज़ाब हमले के बारे में लोगों को जानकारी नहीं है. वे कहते हैं कि अमरीका में जब इस मुद्दे पर चर्चा की तो लोगों ने कहा, "लेकिन आपको तेज़ाब कहां से और कैसे मिलेगा? भारत और दूसरे कुछ देशों में यह इतनी आसानी से मिल जाता है, लोग इस पर सदमे में पड़ जाते हैं. "
तेज़ाब के कई हमलों के बाद सुप्रीम कोर्ट ने इसकी बिक्री पर नियंत्रण करने को कहा.
तो क्या प्रिया समाज को शीशा दिखा पाएगी? क्या प्रेम का आईना पीड़ितों को मुक्ति दिला पाएगा?
न्यूयॉर्क में रहने वाली मोनिका सिंह का मानना है कि तेज़ाब के हमलों के ख़िलाफ़ यह आईना ही सबसे कारगर हथियार हो सकता है.
वे जब 19 साल की थी, शादी का एक प्रस्ताव ठुकरा देने के बाद उन पर तेज़ा से हमला कर दिया गया था. उनके लिए सबसे कठिन काम था आईने में अपना चेहरा देखना.
वे एक संस्था चलाती हैं, जो तेज़ाब हमलों के पीड़ितों की मदद करता है. उनका मानना है कि यह कॉमिक्स युवाओं को तेज़ाब हमले के असर के बारे में लोगों को बताएगा.
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नागराज, सुपर कमांडो ध्रुव, बांकेलाल, डोगा, राम-रहीम, चाचा चौधरी और साबू, बिल्लू, पिंकी, फैंटम जैसे चरित्रों के नाम अभी भी हिंदी कॉमिक्स पढ़ने वालों के ज़ेहन में ज़िंदा हैं.
भारत में हिंदी कॉमिक्स का सफ़र साल 1964 में इंद्रजाल कॉमिक्स के साथ शुरू हुआ और इस पब्लिकेशन ने अमरीकी कॉमिक निर्माता ली फ़ॉल्क के कालजयी किरदारों मैंड्रेक और फ़ैंटम की कहानियों को छापना शुरू किया.
इनकी लोकप्रियता को देखकर साल 1979 में भारत में डायमंड कॉमिक्स का सफ़र शुरू हुआ और उसके बाद इस इंडस्ट्री में कई नाम जुड़ने लगे.
लेकिन शुरुआत में आठ आने में मिलने वाली कॉमिक्स की कीमत आज नीलामी में एक लाख़ हो जाना एक रोचक बात है.
बीबीसी से बात करते हुए भारत में कॉमिक्स संग्रहकर्ताओं को एकसूत्र में जोड़ने वाले हसन ज़हीर बताते हैं कि इंद्रजाल और डायमंड के बाद कॉमिक्स प्रकाशनों की बाढ़ सी आ गई.
वो कहते हैं, “लेकिन यहीं समस्या शुरू हुई, ये सभी कहानियां हिंदी में आती थीं और ऐसे में ‘हिंदी बेल्ट’ में एक ही समय पर कई कॉमिक्स प्रकाशन उभर आए और प्रतियोगिता के चलते छोटे प्रकाशन बंद होने लगे.”
हसन बताते हैं कि काग़ज़ और छपाई की बढ़ती कीमतों के चलते भी कई लोकप्रिय प्रकाशकों को अपनी प्रेस बंद करनी पड़ी और धीरे-धीरे रद्दी में चली जाने वाली प्रिंट्स दुर्लभ बन गईं.
बीते साल हुई नीलामी में इंद्रजाल कॉमिक्स की पहली कॉमिक्स फ़ैंटम 1, 2, 3 की बोली कुल एक लाख रुपए लगी लेकिन इस तरह की नीलामी में इन कॉमिक्सों के मालिक हसन न तो हिस्सा लेते हैं न ही इन्हें बेचने का ख़्याल रखते हैं.
वह कहते हैं, “मैं जानता हूं कि कॉमिक्स की कीमत और बढ़ती जाएगी लेकिन बेचना या नीलामी करना मेरा काम नहीं मैं तो इन्हें धरोहर के तौर पर संभालना चाहता हूं.”
आठ हज़ार से ज्यादा कॉमिक्सों का संकलन रखने वाले हसन भारत में दूसरे कॉमिक्स के संग्रहकर्ताओं के बारे में भी बताते हैं, जिनमें से एक हैं राहुल शशांक.
पेशे से पत्रकार और सिविल सेवा की परीक्षाओं की तैयारी कर रहे राहुल के पास लगभग दो हज़ार कॉमिक्स मौजूद हैं और वह इस संकलन को बढ़ा रहे हैं.
राहुल कहते हैं, “मैंने राज कॉमिक्स के साथ काम किया है और मैं जानता हूं कि कॉमिक्स बनाना काफ़ी महंगा हो गया है. नागराज, ध्रुव, डोगा और बांकेलाल जैसे किरदारों को छोड़ दें, तो और किसी किरदार की कॉमिक्स नहीं बिकती है.”
राहुल बताते हैं कि उनके पास तुलसी कॉमिक्स की कुछ दुर्लभ कॉमिक्स हैं और राज कॉमिक्स के 90 के दशक में छपे मौलिक प्रिंट हैं, जिनकी कीमत आज लगभग 40 हज़ार के आसपास लगाई गई थी.
राहुल हंसते हुए बताते हैं, “मेरी पत्नी ने इन्हें एक बार 7 रुपए किलो के भाव से रद्दी में बेच दिया होता मैं बाहर था लेकिन संयोग से उस दिन कबाड़ी आया ही नहीं और आज मेरी पत्नी ही मेरा इस संकलन का ध्यान रखती है.”
लेकिन जहां पुरानी कॉमिक्सों की कीमत लाखों रुपए तक पहुंच रही है वहीं नई कॉमिक्स के ख़रीददार मौजूद नहीं है.
मुंबई के चर्चगेट स्टेशन पर कॉमिक्स बेचने वाले वाली ताहिरा कहती हैं कि हिंदी कॉमिक्स की मांग बहुत कम है और 25 से 35 साल के लोग ही इन्हें ख़रीदने आते हैं.
बच्चे इन्हें नहीं खरीद रहे ऐसे में हमें मालूम है कि कुछ समय बाद यह बेकार हो जाएंगी.
नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के प्लेटफ़ॉर्म नंबर 16 पर किताबें बेचने वाले मुकेश कहते हैं, “हम खुद कॉमिक्स पढ़ते थे और आज भी हमें इनका क्रेज़ है, लेकिन ख़रीदने वाले ग्राहक नहीं मिलते. आप जैसे लोग आते हैं तो खुशी होती है.”
कॉमिक्स के सामने एक बड़ी दुविधा पायरेसी की भी है और हसन बताते हैं कि बैंगलोर से चलने वाली एक वेबसाइट प्यारेटून्स ने सभी कॉमिक्स को स्कैन कर ऑनलाइन देना शुरू कर दिया था.
प्यारेटून्स के ख़िलाफ़ डायमंड कॉमिक्स और राज कॉमिक्स की शिकायत के बाद इस वेबसाइट से इन प्रकाशनों की कॉमिक्स को हटा लिया गया क्योंकि यह प्रकाशन अभी सक्रिय हैं.
कॉमिक्स बेचने वाले व ख़रीदने वाले भले ही कम हो रहे हों लेकिन राहुल और हसन जैसे संग्रहकर्ताओं को उम्मीद है कि हिंदी कॉमिक्स जल्द ही वापिस लौटेगी.
अब तो फ़िल्म निर्माता अनुराग कश्यप भी कॉमिक किरदार डोगा पर फ़िल्म बनाने का घोषणा कर चुके हैं.
राहुल जो राज कॉमिक्स में काम कर चुके हैं बताते हैं, “साल 2000 में ‘नागराज’ पर एक धारावाहिक बनाने की कोशिश की गई थी, लेकिन निर्माण के खर्चे को देखकर इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया गया.''
आगे कहते हैं कि अब बस डोगा के किरदार और कहानी के राइट्स पर निर्माता और राज कॉमिक्स के बीच बात अटकी है, जिसके सुलझते ही यह फ़िल्म सामने आएगी.”
फ़िल्म तो जब आएगी तब आएगी लेकिन अब आप भी अपने घर की पुरानी रद्दी खंगालिए क्या पता किसी पुरानी कॉमिक्स की शक्ल में आपके लाख़ रुपये धूल खा रहे हों!
Comic Con India announces winner of Country’s Premier Cosplay Championship ‘Alto Indian Championship Of Cosplay’
Sameer Bundela wins the championship for his cosplay as Skywrath from Dota 2.
He will represent India at the Annual Crown Championships of Cosplay at Chicago Comics & Entertainment Expo!
India, February 13’ 2017: Comic Con India announced the winner of Country’s Premier Cosplay Championship, ‘Alto Indian Championships Of Cosplay’. The 1st ever action packed Alto Indian Championship of Cosplay organized by Comic Con India received tremendous response from fans. The championship took place on February 12th 2017at Ansal Plaza, New Delhi.
Comic Con India initiated the competition to encourage local cosplayers to go professional and provide them an International platform as well. The competition engaged thousands of fans as it sparked an opportunity to represent the country at the Annual Crown Championships of Cosplay at Chicago Comics & Entertainment Expo!
The contender named Sameer Bundela who cosplayed as Skywrath from Dota 2 at Bengaluru Comic Con 2016, won the championship. As the winner, Sameer Bundela will receive an invitation to attend Chicago Comics & Entertainment Expo to be held on April 21 -23’ 2017, where he will have the opportunity to enter directly into the championship round of Annual crown championship of Cosplay, the most prestigious cosplay competition in the world.
Sameer Bundela, Winner, Indian Championships Of Cosplay, says,“I am so happy that I can’t express my feeling in words. I am really excited for the Crown Championship in Chicago, as I plan to win the people over and make them more aware of the Indian cosplay community, Comics and Nerd culture. And Thank you so much Comic Con India for giving me this opportunity!”
“Thanks to the fans for making Alto Indian Championship of Cosplay a great success. Here's wishing Sameer the very best for the ultimate finals at the Crown Championships in Chicago and Congratulations to all the other finalists! They were amazing!!”said Jatin Varma, Founder, Comic Con India.
The Alto Indian Championship Of Cosplay Winner was selected from the 9 finalists of the cosplay competitions held across the country in Hyderabad, Bengaluru, Mumbai and Delhi. The 9 finalists represent some of the best cosplayers in the country. And they are judged on the following criteria - Authenticity, Technique & Fit of their costume along with an overall Larger than Life quality of their cosplay.
The judging team is made of up the Reedpop Content & marketing team, including members from India & Australia.
In addition to the main Indian champion, there was a "Fan Favourite" Award too, which was decided through an online poll. The contest received around 30000 votes over 35 days. The contender named Akhil Macharla from Hyderabad, who cosplayed as DAEDRIC from SKYRIM at Hyderabad Comic Con 2016, won the Fan Favourite Award by maximum votes. The winner, Akhil Macharla won a trip to Indonesia Comic Comic 2017.The winner was determined based on the overall efforts put in the costumes by every contestant and voting by fans for every competent.
Fans in the capital witnessed Biggest Joker Cosplayer gathering at the Alto Indian Championship of Cosplay, where all the Joker cosplayers gathered to set the record for the Biggest Joker gathering in India. The cosplayers also competed for the title of “Best Joker”.
For visitors who wanted to join in the fun of cosplay, participated in Fan Cosplay Contest which was open for all. Comic Con India under its 5 categories - 1. Comic book/graphic novel 2. Animated Series/Movie 3. Manga/Anime 4. Sci-Fi/Fantasy and 5. Gaming chose one winner in each category.
The event also featured an exciting speed painting session with Rohit Kumar, live music by Popular Band ‘Classic Collective’ & DJ ‘Nisheeth Rao’, along with great options for food & shopping.
Comic Con India has always been at the forefront of the promoting pop-culture eco-system and cosplay (costume play) forms a big part of that world. From 13 cosplayers at our first ever convention to upwards of 2500 cosplayers at our last show in Delhi, the cosplay community has come a long way in India in the past 6 years. And we plan to continue supporting it.
Comic Con India is part of the Reedpop family of events, which is dedicated to producing world-class celebrations of popular culture around the world with events like New York Comic Con, Oz Comic Con, Shanghai Comic Con, Star Wars Celebration among many others.