चर्चित कार्टूनिस्ट और लेखक 81 वर्षीय आबिद सुरती बीते कुछ साल से लोगों के घरों में टपकते नल और पाइपलाइन निशुल्क ठीक करते हैं.
आबिद सुरती ने साल 2007 में 'द ड्रॉप डेड फाउंडेशन' अभियान की शुरुआत की और तब से लोगों को पानी बचाने के लिए सचेत कर रहे हैं.
सुरती बताते हैं कि उनका बचपन बेहद ग़रीबी में बीता और अधिकांश बचपन फुटपाथ पर गुज़रा.
बीबीसी के साथ फ़ेसबुक लाइव में सुरती बताते हैं कि विभाजन के समय उनका आधा कुनबा पाकिस्तान चला गया था और उनकी माँ की ज़िद के कारण आधा कुनबा हिंदुस्तान में रुक गया.
उन्होंने बताया, "हम सभी लोग एक खोली में रहते थे. फुटपाथ पर सोते थे. हमारी परवरिश करीब-करीब फुटपाथ पर ही हुई."
सुरती के कार्टूनों की तरफ रुझान बढ़ने की घटना भी कुछ कम मज़ेदार नहीं थी.
सुरती ने बताया, "परिवार बहुत ग़रीबी में था. माँ दूसरों के घरों में झाड़ू-पोंछा करती थी और हम बच्चे लोग भीख मांगने जाया करते थे. मैं तब सात-आठ साल का रहा हूँगा.''
उन्होंने कहा, ''तब दूसरे विश्व युद्ध के फौजी मुंबई के डॉक इलाके में उतरा करते थे और फिर एक छोटी गाड़ी उन्हें छत्रपति शिवाजी टर्मिनल स्टेशन तक ले जाती थी. हम उस ट्रेन के पीछे-पीछे भागा करते थे."
सुरती बताते हैं, "हम 6-7 बच्चों का गैंग था. हम लोग उनसे डॉलर, सैंडविच मांगा करते थे. एक बार किसी ने एक कॉमिक उछाला...सब उस पर टूट पड़े. किसी के हाथ में एक तो किसी के हाथ दो पन्ने आए. मेरे हिस्से एक पन्ना आया और वो पन्ना था मिकी माउस कॉमिक का."
उन्होंने कहा कि जब ये देखा तो लगा कि ये तो वो भी बना सकते हैं. सुरती बताते हैं, "शुरुआत मिकी माउस से हुई.. और फिर मैं ढब्बू जी पर पहुँचा."
और उनके ढब्बू जी ने भारत में क्या तहलका मचाया, इससे सभी वाक़िफ़ हैं.
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