Tuesday, August 5, 2014

अलविदा प्राण

--:अलविदा प्राण:--
अब से तकरीबन तीन साल पहले (28 जून 2011) को मैं प्राण साहब से मिलने उनके घर गया था. उन्होंने बेहद गर्मजोशी के साथ मेरा और मेरे मित्र सुमित का इस्तकबाल किया था. मुझे उनसे एक लम्बी और दिलचस्प बात चीत करने का मौक़ा मिला, जिसमे मैंने उनकी जिंदगी के कुछ ऐसे हिस्सों के बारे में जाना जो शायद बहुत कम लोग ही जानते होंगे. जैसे की -
प्राण साहब बेहद उम्दा उर्दू पढना लिखना बोलना जानते थे.
बचपन में उन्होने एक साथ दो स्कूलों से पढाई की थी.
पचास साल बाद वह अपने पुश्तैनी घर (कसूर-पाकिस्तान) को देखने गए थे. जो की बेहद मर्मस्पर्शी घटना थी.
ऐसे न जाने कितने उनकी जिंदगी के अनछुए हिस्सों को मैंने अपने कैमरे में क़ैद किया.
उनका जाना Indian कॉमिक्स के लिए एक आघात के जैसा है.

अलविदा प्राण.....आप हमारे मासूम बचपन की सुनहरी यादों में हमेशा जिंदा रहोगे-Usman Khan

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